प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में 10,000 करोड़ रुपये के राशन वितरण घोटाले से संबंधित सभी मामलों की जांच राज्य पुलिस से लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का अनुरोध करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया.

ईडी ने इससे पहले मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को गिरफ्तार किया था, जिनके पास 2011 से 2021 तक खाद्य और आपूर्ति विभाग था. ईडी कथित घोटाले में धन के लेन-देन की जांच कर रहा है. एजेंसी ने दावा किया कि अनियमितताएं 10,000 करोड़ रुपये की हैं, जिनमें से 2,000 करोड़ रुपये अवैध तरीकों से देश के बाहर भेजे गए.

ईडी के वकील ने कहा कि उसने कोलकाता सहित विभिन्न जिलों के पुलिस थानों में छह प्राथमिकी से संबंधित प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है, जिनकी जांच राज्य पुलिस द्वारा की जा रही है या की जा चुकी है. वकील ने दावा किया कि उन छह प्राथमिकी में उचित जांच नहीं की गई है, हालांकि पांच मामलों में आरोपपत्र दाखिल किये गए और एक में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई.

केंद्रीय एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया कि इसी तरह के अन्य मामले पूरे पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए थे और राज्य सरकार से उनका विवरण मांगा. ईडी के वकील ने दावा किया कि कथित घोटाले में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति शामिल है. अधिवक्ता ने आग्रह किया कि यह आवश्यक है कि मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए.

प्रार्थना का विरोध करते हुए, राज्य के वकील ने कहा कि यह तथ्य कि छह में से पांच मामलों में आरोपपत्र प्रस्तुत किए गए हैं, यह दर्शाता है कि राज्य मामले की जांच के प्रति गंभीर है. न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने निर्देश दिया कि विरोध में हलफनामा एक पखवाड़े के भीतर दाखिल किया जाए. ईडी को एक सप्ताह के भीतर जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया. अदालत ने राज्य को 3 मार्च को सुनवाई की अगली तारीख पर केस डायरी पेश करने का निर्देश भी दिया.

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