दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. यह मामला यूट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा बनाए गए ‘बीजेपी आईटी सेल पार्ट 2’ शीर्षक वाले वीडियो को केजरीवाल द्वारा रीट्वीट करने के संबंध में है.
इस मामले में, ध्रुव राठी ने वीडियो में दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आईटी सेल झूठ और फर्जी खबरें फैलाती है. इस वीडियो को केजरीवाल ने रीट्वीट किया था. इसके बाद, सोशल मीडिया पेज ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ के संस्थापक विकास पांडे ने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया.
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल के खिलाफ दायर मानहानि के मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि मानहानिकारक सामग्री को रीट्वीट करना वास्तव में मानहानि के समान है.
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि जब रीट्वीट मुख्यमंत्री सहित राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा किया जाए तो यह सार्वजनिक धारणा बन सकता है जिस पर जनता विश्वास कर सकती है1. इसलिए, केजरीवाल को मामले के संबंध में पेश होने के लिए बुलाया गया.
इस मामले का निर्णय देते हुए, उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऑनलाइन सामग्री को शेयर करने के कानूनी परिणाम होते हैं. इस मामले में, शेयर करने का कार्य मानहानि के अपराध को इंगित करता है.