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Farmer Welfare: Historic decision to increase Minimum Support Price for Kharif Crops

कृषि अर्थव्यवस्था को संबल: एमएसपी वृद्धि का महत्व

भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यहाँ की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है। किसानों की आय सुनिश्चित करना और उन्हें फसलों के उचित मूल्य दिलाना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक रहा है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में 14 खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी का एलान किया है, जिसमें धान और अरहर जैसी प्रमुख फसलें शामिल हैं। यह निर्णय न केवल किसानों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र में स्थिरता और वृद्धि को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों है?

एमएसपी वह न्यूनतम कीमत है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है, भले ही बाजार में कीमतें कुछ भी हों। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को कीमतों में उतार-चढ़ाव और अनिश्चितताओं से बचाना है। यह एक सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है, जो किसानों को उनकी उपज के लिए एक निश्चित आय की गारंटी देता है और उन्हें अगली फसल के लिए निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

एमएसपी की आवश्यकता:

  • कीमतों में स्थिरता: कृषि उत्पादों की कीमतें अक्सर मांग और आपूर्ति के आधार पर बदलती रहती हैं। एमएसपी किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है।
  • किसान को सुरक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिले, भले ही बंपर फसल के कारण बाजार में कीमतें गिर जाएं।
  • उत्पादन को प्रोत्साहन: जब किसानों को पता होता है कि उनकी फसल एक निश्चित मूल्य पर बिकेगी, तो वे अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
  • खाद्य सुरक्षा: एमएसपी प्रणाली सरकार को आवश्यक खाद्यान्न भंडार बनाए रखने में मदद करती है, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • आय में वृद्धि: यह किसानों की आय बढ़ाने में मदद करता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और वे बेहतर जीवन जी सकते हैं।

एमएसपी का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है, जो विभिन्न कारकों जैसे उत्पादन लागत, बाजार मूल्य, मांग और आपूर्ति की स्थिति, और किसानों के लिए उचित लाभ मार्जिन पर विचार करता है। सरकार का लक्ष्य किसानों की उत्पादन लागत पर कम से कम 50% का लाभ मार्जिन सुनिश्चित करना है।

खरीफ फसलों पर एमएसपी वृद्धि का विस्तृत विश्लेषण

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित एमएसपी वृद्धि खरीफ सीजन 2025-26 के लिए है, जो किसानों को बुवाई से पहले ही एक स्पष्ट मूल्य संकेत देता है। यह किसानों को अपनी फसल का चयन करने और खेती की योजना बनाने में मदद करेगा। इस वृद्धि में कई प्रमुख फसलों को शामिल किया गया है, जो देश के विभिन्न कृषि क्षेत्रों में किसानों को लाभान्वित करेंगी।

प्रमुख फसलों पर एमएसपी वृद्धि:

  • धान (Paddy): देश की सबसे महत्वपूर्ण खरीफ फसल धान पर एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। सामान्य धान के लिए एमएसपी ₹69 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹2369 प्रति क्विंटल हो गई है। यह वृद्धि धान किसानों के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर उन राज्यों में जहां धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
  • अरहर (Tur/Arhar): दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अरहर के एमएसपी में महत्वपूर्ण वृद्धि की गई है। यह किसानों को दालों की खेती के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे देश में दलहन की उपलब्धता बढ़ेगी और आयात पर निर्भरता कम होगी। अरहर का एमएसपी ₹450 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹8000 प्रति क्विंटल तय किया गया है।
  • उड़द (Urad): उड़द के एमएसपी में ₹400 प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, जो अब ₹7800 प्रति क्विंटल है।
  • मूंग (Moong): मूंग का एमएसपी ₹86 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹8768 प्रति क्विंटल हो गया है।
  • ज्वार (Jowar): ज्वार के लिए एमएसपी ₹328 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹3699 प्रति क्विंटल हो गया है।
  • बाजरा (Bajra): बाजरा के एमएसपी में ₹150 प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, जो अब ₹2625 प्रति क्विंटल है।
  • रागी (Ragi): रागी के एमएसपी में ₹596 प्रति क्विंटल की बड़ी वृद्धि हुई है, जो अब ₹4886 प्रति क्विंटल है।
  • मक्का (Maize): मक्का के एमएसपी में ₹135 प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, जो अब ₹2225 प्रति क्विंटल है।
  • सोयाबीन (Soybean): सोयाबीन के एमएसपी में ₹292 प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, जो अब ₹4892 प्रति क्विंटल है।
  • मूंगफली (Groundnut): मूंगफली के एमएसपी में ₹406 प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, जो अब ₹6783 प्रति क्विंटल है।
  • कपास (Cotton): कपास के एमएसपी में भी महत्वपूर्ण वृद्धि की गई है। मध्यम रेशे वाली कपास का एमएसपी ₹501 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹7710 प्रति क्विंटल हो गया है, जबकि लंबे रेशे वाली कपास का एमएसपी ₹501 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹8110 प्रति क्विंटल हो गया है।
  • तिल (Sesamum): तिल के एमएसपी में ₹632 प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है, जो अब ₹9267 प्रति क्विंटल है।
  • नाइजरसीड (Nigerseed): सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड के एमएसपी में हुई है, जो ₹820 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹9537 प्रति क्विंटल हो गया है।
  • सूर्यमुखी (Sunflower Seed): सूर्यमुखी के बीज का एमएसपी ₹520 प्रति क्विंटल बढ़कर ₹7280 प्रति क्विंटल हो गया है।

यह व्यापक वृद्धि इस बात को सुनिश्चित करती है कि देश के विभिन्न हिस्सों में खेती की जाने वाली अधिकांश प्रमुख खरीफ फसलों को इसका लाभ मिलेगा।

किसानों पर प्रभाव: आय में वृद्धि और प्रोत्साहन

एमएसपी में इस वृद्धि का सीधा और सकारात्मक प्रभाव किसानों की आय पर पड़ेगा। जब किसानों को उनकी फसल के लिए बेहतर मूल्य मिलेगा, तो उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

किसानों को होने वाले लाभ:

  • आय में स्थिरता और वृद्धि: किसानों को अब अपनी उपज का अधिक मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी शुद्ध आय में वृद्धि होगी। यह उन्हें अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने और निवेश करने में मदद करेगा।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: एमएसपी की गारंटी किसानों में आत्मविश्वास पैदा करती है, जिससे वे बिना किसी डर के अगली फसल की बुवाई कर सकते हैं।
  • विविधीकरण को प्रोत्साहन: कुछ फसलों, विशेष रूप से दलहन और तिलहन पर अधिक एमएसपी, किसानों को इन फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह देश की कृषि प्रणाली में विविधीकरण को बढ़ावा देगा और एकल फसल पर निर्भरता कम करेगा।
  • ऋण चुकाने की क्षमता में सुधार: बढ़ी हुई आय से किसानों को अपने कृषि ऋणों को समय पर चुकाने में मदद मिलेगी, जिससे उनका वित्तीय बोझ कम होगा।
  • आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाना: बेहतर आय से किसान आधुनिक कृषि उपकरण, बेहतर बीज और उर्वरक खरीदने में सक्षम होंगे, जिससे कृषि उत्पादकता में सुधार होगा।
  • कम जोखिम: एमएसपी किसानों को बाजार के जोखिमों से बचाता है। यदि बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे गिरता है, तो सरकार एमएसपी पर फसल खरीदकर किसानों के नुकसान को कम करती है।

सरकार ने यह भी दोहराया है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% का लाभ मार्जिन मिले। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है।

आर्थिक निहितार्थ और व्यापक प्रभाव

एमएसपी में वृद्धि का प्रभाव केवल किसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक आर्थिक निहितार्थ भी हैं।

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: जब किसानों की आय बढ़ती है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है। यह ग्रामीण उद्योगों और व्यवसायों को बढ़ावा देता है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
  • मुद्रास्फीति का प्रबंधन: जबकि एमएसपी में वृद्धि से कुछ कृषि उत्पादों की कीमतों पर मामूली प्रभाव पड़ सकता है, सरकार का दावा है कि इसका समग्र मुद्रास्फीति पर नियंत्रित प्रभाव रहेगा क्योंकि यह खाद्य आपूर्ति को स्थिर करने में मदद करेगा।
  • सरकारी खजाने पर बोझ: एमएसपी पर खरीद से सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ बढ़ता है। हालांकि, इसे किसानों के कल्याण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक आवश्यक निवेश के रूप में देखा जाता है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस एमएसपी वृद्धि से सरकार पर ₹2 लाख 7 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
  • फसल पैटर्न में बदलाव: एमएसपी में अधिक वृद्धि वाली फसलों की ओर किसान आकर्षित हो सकते हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में फसल पैटर्न में बदलाव आ सकता है। यह सरकार को उन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेगा जिनकी देश को आवश्यकता है।
  • कृषि क्षेत्र में निवेश: किसानों की आय बढ़ने से कृषि क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक दोनों तरह के निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे आधारभूत संरचना और प्रौद्योगिकी में सुधार होगा।

सरकार की दूरदर्शिता और किसान-केंद्रित नीतियां

यह निर्णय सरकार की “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” की नीति के अनुरूप है, जिसमें किसानों को सशक्त बनाना एक प्रमुख स्तंभ है। पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना और फसल बीमा योजनाएं।

केसीसी और ऋण पर राहत: एमएसपी वृद्धि के साथ-साथ, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण पर ब्याज सबवेंशन योजना को जारी रखने को भी मंजूरी दी है। यह किसानों को 3 लाख रुपये तक का अल्पकालिक कृषि ऋण 7% की रियायती ब्याज दर पर प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, जिसमें समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को 3% का अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलता है, जिससे प्रभावी ब्याज दर 4% हो जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि किसानों के पास सस्ती दरों पर ऋण तक पहुंच हो, जिससे उन्हें अपनी खेती की लागत को पूरा करने में मदद मिलेगी।

ये सभी पहलें किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और कृषि को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए सरकार के समग्र दृष्टिकोण का हिस्सा हैं।

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