भारत की एक पारंपरिक और स्वादिष्ट चटनी को भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग मिला है। यह चटनी है ओडिशा की लाल चींटी की चटनी, जिसे “काई चटनी” भी कहा जाता है।
लाल चींटी की चटनी ओडिशा के मयूरभंज जिले में रहने वाले आदिवासियों द्वारा बनाई जाती है। यह चटनी लाल चींटियों के अंडे से बनाई जाती है। चींटियों के अंडे को सुखाकर पीस लिया जाता है और फिर इसमें नमक, अदरक, लहसुन और मिर्च मिलाकर चटनी बनाई जाती है।
चटनी का स्वाद तीखा होता है और यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है। चटनी को अक्सर चावल, रोटी या सब्जियों के साथ खाया जाता है।
चटनी को जीआई टैग मिलना आदिवासियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह टैग चटनी को एक विशेष पहचान प्रदान करेगा और इसे दुनिया भर में बढ़ावा देगा।
चटनी का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि यह चटनी चीन से भारत आई थी। चीन में इस चटनी को “चिंग-चिंग” कहा जाता है।
चटनी के स्वास्थ्य लाभ भी हैं। यह चटनी प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12, आयरन, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसलिए, इसे कई बीमारियों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।