2018 में इससे केरल में 17 मौतें हुई थीं
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने निपाह वायरस की एक संभावित वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू किया है। यह वैक्सीन एक पुनः संयोजित DNA वैक्सीन है, जिसे चमगादड़ों से प्राप्त निपाह वायरस के प्रोटीन के खिलाफ बनाया गया है।
इस वैक्सीन का परीक्षण फिलहाल 18 से 65 वर्ष की आयु के 52 लोगों पर किया जा रहा है। इन लोगों को दो खुराक में वैक्सीन दी जाएगी।
अगर यह वैक्सीन कारगर रही, तो यह निपाह वायरस के खिलाफ पहला टीका होगा। निपाह वायरस एक जानलेवा वायरस है, जो चमगादड़ों से इंसानों में फैलता है। इस वायरस से संक्रमित होने पर बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में यह वायरस मौत का कारण भी बन सकता है।
भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में केरल में सामने आया था। तब से अब तक भारत में निपाह वायरस से 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इस वैक्सीन का परीक्षण सफल रहा तो इसे 2025 तक बाजार में उपलब्ध कराया जा सकता है।