भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने कैंसर के इलाज के लिए भारतीय मसालों के उपयोग का पेटेंट कराया है.
यह जानकारी अधिकारियों ने दी. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय मसालों से तैयार नैनो मैडिसिन ने फेफड़े, स्तन, बृहदान्त्र, सर्वाइकल, मुख और थायरॉयड सेल लाइन के खिलाफ कैंसर रोधी गतिविधि दिखायी है, लेकिन ये सामान्य कोशिकाओं के लिए सुरक्षित हैं.
भारतीय मसाले केवल खाने में स्वाद लाने का काम नहीं करते, बल्कि ऐसे कई मसाले हैं जो कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में रामबाण साबित होते हैं.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के शोधकर्ताओं ने उन भारतीय मसालों के इस्तेमाल का पेटेंट कराया है,
जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के उपचार में कारगार साबित हो सकते हैं.
अधिकारियों ने रविवार को बताया कि औषधीय गुणों वाले इन मसालों के इस्तेमाल से बनने वाली दवाइयां 2028 तक बाजार में उपलब्ध होने की संभावना है.
उन्होंने बताया कि भारतीय मसालों से बनी नैनो दवाइयों ने लंग, ब्रेस्ट, कोलन, सर्वाइकल, ओरल और थायरॉयड में कैंसर कोशिकाओं पर असर दिखाया है.
यह दवाइयां सामान्य कोशिकाओं में सुरक्षित पाईं गईं.
शोधकर्ता अभी कैंसर दवाओं की सुरक्षा और लागत के मुद्दों पर काम कर रहे हैं.
सुरक्षा और लागत मौजूदा कैंसर दवाओं के मामले में प्रमुख चुनौतियां हैं.
उन्होंने बताया कि जानवरों पर हाल ही में सफलतापूर्वक अध्ययन किया गया है.
अब 2027-28 तक इन दवाओं को बाजार में उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ नैदानिक परीक्षणों की योजना बनाई जा रही है.
आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आर. नागराजन ने कहा, भारतीय मसालों को युगों से स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है.
उनकी जैव उपलब्धता ने उनके अनुप्रयोग और उपयोग को सीमित कर दिया है. नैनो-इमल्शन का सूत्र इस सीमा को पार कर जाता है.
नैनो-इमल्शन की स्थिरता पर विचार किया जाना महत्वपूर्ण था और हमारी प्रयोगशाला में इस सूत्र को अपनाया गया.