ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने 10वें रायसीना डायलॉग में भारत को लोकतांत्रिक ताकत का सबसे बड़ा सबूत बताया। उन्होंने कहा कि भारत और यूरोप के बीच साझेदारी यूरोप की विदेश नीति का आधार होनी चाहिए।

रायसीना डायलॉग भारत सरकार द्वारा आयोजित एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है। इस वर्ष का सम्मेलन 2-4 मार्च 2024 को आयोजित किया गया था।

मित्सोटाकिस ने अपने भाषण में कहा कि भारत और यूरोप के बीच साझेदारी कई साझा मूल्यों और हितों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष लोकतंत्र, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों में विश्वास करते हैं।

उन्होंने कहा: “भारत लोकतांत्रिक ताकत का सबसे बड़ा सबूत है। यह एक ऐसा देश है जो विविधता में एकता का प्रतीक है।”

मित्सोटाकिस ने कहा कि भारत और यूरोप के बीच साझेदारी को निम्नलिखित क्षेत्रों में मजबूत किया जाना चाहिए:

  • व्यापार और निवेश: दोनों पक्षों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • सुरक्षा और रक्षा: दोनों पक्षों को सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
  • जलवायु परिवर्तन: दोनों पक्षों को जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा: “भारत और यूरोप के बीच साझेदारी यूरोप की विदेश नीति का आधार होनी चाहिए।”

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी रायसीना डायलॉग में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत और यूरोप के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं।

उन्होंने कहा: “भारत और यूरोप के बीच संबंध समानता, आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित हैं।”

जयशंकर ने कहा कि भारत और यूरोप को निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहिए:

  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र: भारत और यूरोप को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
  • संयुक्त राष्ट्र: भारत और यूरोप को संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
  • आतंकवाद: भारत और यूरोप को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मिलकर काम करना चाहिए।
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