असम सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून 1935 को निरस्त कर दिया गया है.
इस कानून के निरस्त होने से मुस्लिम समुदाय के निकाह और तलाक की प्रक्रिया में काफी बदलाव होंगे.
इस कानून के निरस्त होने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह को रोकना है. इस कानून में ऐसे प्रावधान थे,
जिससे नाबालिगों को भी शादी का अधिकार मिल गया था, भले ही उनकी उम्र 18 या 21 साल ना हो, जो भारत में शादी की कानूनी उम्र है.
अब, असम में मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण से जुड़े सभी मामलों का निस्तारण विशेष विवाह अधिनियम के तहत होगा.
इससे उम्मीद है कि बाल विवाह पर रोक लगाने में सरकार को मदद मिलेगी.
इस निर्णय के बाद, मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने निकाह और तलाक की प्रक्रिया को विशेष विवाह अधिनियम के अनुसार करना होगा.
इससे उम्मीद है कि नाबालिगों के बाल विवाह को रोकने में मदद मिलेगी.