नसीरुद्दीन शाह, एक बहुत ही प्रमुख और सम्मानित अभिनेता, ने हाल ही में बॉलीवुड फिल्मों पर अपनी निराशा व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि वे हिंदी फिल्मों को देखना बंद कर चुके हैं. उनका मानना है कि हिंदी फिल्मों में अब कोई दम नहीं बचा.

शाह ने यह भी बताया कि उन्हें यह देखकर ‘निराशा’ महसूस होती है कि लोग हिंदी सिनेमा के 100 साल पुराने होने पर गर्व महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता पिछली सदी से एक ही तरह की फिल्में बना रहे हैं. उनका कहना है कि हिंदी सिनेमा के लिए उम्मीद तभी है जब फिल्म निर्माता पैसा कमाने के इरादे के बिना फिल्में बनाएंगे.

नसीरुद्दीन शाह ने अपनी फिल्मोग्राफी में कई भाषाओं में सौ से अधिक फिल्में बनाई हैं. उन्होंने बॉलीवुड के उतार-चढ़ाव देखे हैं और इसलिए, इंडस्ट्री की फिलहाल की स्थिति के बारे में उनकी राय बहुत मायने रखती है.

उनके अनुसार, हिंदी सिनेमा की मौजूदा स्थिति से वे निराश हैं. उन्होंने कहा कि वे हिंदी सिनेमा की मौजूदा स्थिति से निराश हैं और उन्होंने हिंदी सिनेमा देखना बंद कर दिया है.

इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी सिनेमा के लिए कुछ उम्मीद तभी है जब निर्माता उन्हें सिर्फ पैसा कमाने का साधन मानना बंद कर दें1. उन्होंने कहा, ‘हिंदुस्तानी खाना हर जगह पसंद किया जाता है क्योंकि इसमें दम होता है। हिंदी फिल्मों में क्या दम है.

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