पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, और कंपनी को कड़ी फटकार लगाई है।
 
कोर्ट ने यह भी पूछा कि कंपनी के खिलाफ अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

पतंजलि आयुर्वेद के स्वास्थ्य से संबंधित तमाम विज्ञापनों पर भी रोक लग गई है। कंपनी आगे भी इस तरह के विज्ञापन नहीं कर सकेगी.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. 
 
इसके साथ ही, पतंजलि आयुर्वेद और आचार्य बालाकृष्णन को गुमराह करने वाले विज्ञापनों की पब्लिशिंग में शामिल रहने के लिए कोर्ट की अवमानना का नोटिस भी भेजा है. 
 
कंपनी के विज्ञापन कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दिखाए जाते हैं, जिसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि गलत दावे के साथ विज्ञापन चलाए जाते हैं.
 
कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए कंपनी और उनके मालिक बालाकृष्णन को तीन हफ्ते का समय दिया है.
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