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कल मौनी अमावस्या-क्या करें और क्या नहीं और मौनी अमावस्या क्यों मनाया जाता है

मौनी अमावस्या: क्या करें और क्या नहीं

मौनी अमावस्या हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है. यह अमावस्या शुक्ल पक्ष की होती है और इस दिन को अपने मौन रहने और आत्मा की साधना के लिए जाना जाता है.

मौनी अमावस्या पर क्या करें:

इस दिन विशेष रूप से व्रती लोग मौन व्रत रखते हैं और एकांत में बैठकर मौन रहते हैं
व्रती लोग भगवान शिव और पार्वती माता की पूजा करते हैं
इस दिन व्रती व्यक्ति अपने मन को शुद्ध करने और आत्मा को अपने साथ संवाद करने के लिए ध्यान और मनन करते हैं
मौनी अमावस्या पर दान करना भी अच्छा होता है
कुछ लोग इस दिन तीर्थस्थलों की यात्रा करते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करने का प्रयास करते हैं
मौनी अमावस्या पर क्या नहीं करें:

मौनी अमावस्या के दिन व्रती लोगों को बहुत बोलना नहीं चाहिए
व्रती लोगों को अनादरपूर्वक बातचीत नहीं करनी चाहिए
मौनी अमावस्या को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार की अशुभ क्रियाएं नहीं करनी चाहिए
इस दिन भूलकर भी मांस ​मदिरा का उपयोग नहीं करना चाहिए
इस दिन शमशान घाट भूल कर भी न जाएं
मौनी अमावस्या के दिन यह सब ध्यान देने से आपको अनंत कोटी पुण्यों का फल प्राप्त होता है. इस दिन की पूजा और व्रत से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.

मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मौनी अमावस्या का तात्पर्य माघ माह की अमावस्या से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्यक्तियों को मौन रहने और नदियों में पवित्र स्नान करने की सलाह दी जाती है।

पौराणिक परंपराओं के अनुसार, यह दिन ऋषि मुनि के जन्म का प्रतीक है, इसलिए “मौनी” शब्द “मुनि” शब्द से लिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान पवित्र हो जाता है और गंगा जल में देवताओं का वास होता है।

शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा को मन का देवता माना जाता है और माना जाता है कि अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन न करने से मानसिक अशांति बढ़ती है। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की सलाह दी जाती है।

मौनी अमावस्या का धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही महत्व है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मौनी अमावस्या तब मनाई जाती है जब माघ महीने के दौरान चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में युति में होते हैं। इस दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों की संयुक्त ऊर्जा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन विभिन्न धार्मिक गतिविधियों और अनुष्ठानों के लिए समर्पित है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या पर अच्छे काम करने से कई गुना लाभ मिलता है।

मौनी अमावस्या पर किये जाने वाले कार्य: स्नान करने के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला और वस्त्र का दान करें। गरीबों, संतों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और ऊनी वस्त्र, कंबल आदि दान करें। काले तिलों को गुड़ में मिलाकर लड्डू बनाएं और उन्हें लाल कपड़े में बांधकर दान करें।

बोलने या बहस में शामिल होने से बचें और घर में शांति और सौहार्द का माहौल बनाए रखें। इस दिन तेल का प्रयोग न करें और शरीर की मालिश करने से भी बचें। पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और तामसिक (बासी या बचा हुआ) भोजन खाने से बचें।

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