सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कार्यवाही के दौरान आवश्यक समझे जाने पर किसी भी व्यक्ति को तलब कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया पीएमएलए की धारा 50 के तहत तलब किए गए व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय से मिले समन का सम्मान करना और उसका जवाब देना जरूरी है.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि ईडी की ओर से बुलाए जाने पर व्यक्ति को उपस्थित होना होगा और पीएमएलए के तहत कार्यवाही के अनुसार अगर जरूरी हुआ तो सबूत पेश करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी किसी भी व्यक्ति को अधिनियम के तहत कार्यवाही के दौरान सबूत पेश करने या उपस्थिति देने के लिए आवश्यक समझे जाने पर तलब कर सकती है.
जिन लोगों को समन जारी किया गया है, उन्हें ईडी के उक्त समन का सम्मान करना और उसका जवाब देना आवश्यक है.
पीएमएलए की धारा 50 के अनुसार, ईडी अधिकारियों के पास अधिनियम के तहत किसी भी जांच या कार्यवाही के दौरान
साक्ष्य देने या कोई रिकॉर्ड पेश करने के लिए किसी भी व्यक्ति को समन भेजने की शक्ति है, जिसकी उपस्थिति वे आवश्यक मानते हैं.
यह निर्णय ईडी के अधिकारों को मजबूत करता है और इसे अपने कार्यों को सफलतापूर्वक निभाने में मदद मिलती है.