महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने हाल ही में अपनी पार्टी, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP), के चुनाव चिह्न और नाम को खोने के बाद अपनी भावनाओं को व्यक्त किया. उन्होंने कहा, “जिसने पार्टी बनाई, उसे ही पार्टी से निकाल दिया गया”. यह उनके लिए एक दुखद घड़ी थी, जिसने उन्हें अपनी पार्टी की स्थापना के दिनों की याद दिलाई.
पवार ने बताया कि उन्होंने पार्टी की स्थापना की थी और वे इसके संस्थापक थे, लेकिन अब उन्हें इसे छोड़ना पड़ा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने न सिर्फ पार्टी को खोया, बल्कि उनका चुनाव चिह्न भी छीन लिया गया. यह उनके लिए एक बड़ा झटका था, जिसने उन्हें अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की याद दिलाई.
पवार ने इसे एक अद्वितीय घटना बताया, जिसमें पार्टी के संस्थापक को ही पार्टी से बाहर कर दिया गया. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि जिसने राजनीतिक पार्टी की स्थापना की, उसे ही पार्टी से बाहर कर दिया गया. उन्होंने इसे एक अनुभव के रूप में लिया और कहा कि वे इसे सीख के रूप में लेंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि यह फैसला कानून के अनुसार सही नहीं है और उन्हें इसे चुनौती देने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें यकीन है कि जनता भी इस फैसले का समर्थन नहीं करेगी.
इस घटना ने शरद पवार को एक नई दिशा दी है, जिसमें वे अपनी पार्टी को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अब अपनी पहुंच बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अपनी पार्टी की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है.
पवार ने बताया कि उन्होंने पार्टी की स्थापना की थी और वे इसके संस्थापक थे, लेकिन अब उन्हें इसे छोड़ना पड़ा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने न सिर्फ पार्टी को खोया, बल्कि उनका चुनाव चिह्न भी छीन लिया गया. यह उनके लिए एक बड़ा झटका था, जिसने उन्हें अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की याद दिलाई.
पवार ने इसे एक अद्वितीय घटना बताया, जिसमें पार्टी के संस्थापक को ही पार्टी से बाहर कर दिया गया. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि जिसने राजनीतिक पार्टी की स्थापना की, उसे ही पार्टी से बाहर कर दिया गया. उन्होंने इसे एक अनुभव के रूप में लिया और कहा कि वे इसे सीख के रूप में लेंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि वे इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि यह फैसला कानून के अनुसार सही नहीं है और उन्हें इसे चुनौती देने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें यकीन है कि जनता भी इस फैसले का समर्थन नहीं करेगी.
इस घटना ने शरद पवार को एक नई दिशा दी है, जिसमें वे अपनी पार्टी को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अब अपनी पहुंच बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें अपनी पार्टी की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है.