विश्व व्यापार संगठन के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC-13) में भारत के चावल खरीद कार्यक्रम पर थाईलैंड की राजदूत पिमचानोक वोंकोर्पोन पिटफील्ड ने आपत्तिजनक टिप्पणी की. 
 
उन्होंने टिप्पणी की थी कि भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चावल खरीद का कार्यक्रम लोगों के लिए नहीं, बल्कि निर्यात बाजार पर कब्जा करने के लिए है.

इस टिप्पणी के बाद भारत ने थाईलैंड सरकार के सामने अपना विरोध दर्ज कराया और WTO प्रमुख, कृषि समिति के प्रमुख केन्या और यूएई के प्रति नाराजगी भी जताई. 
 
भारतीय वार्ताकारों ने उन समूहों में भाग लेने से भी इनकार कर दिया था, जहां थाई प्रतिनिधि मौजूद थी.

भारतीय अधिकारियों ने कहा कि उनके तथ्य गलत थे, क्योंकि सरकार खाद्य सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए धान की उपज का केवल 40 प्रतिशत ही खरीदती है. 
 
बाकी हिस्से को सरकारी स्वामित्व वाली एजेंसियां नहीं खरीदती हैं और इसे भारत से बाजार कीमतों पर निर्यात किया जाता है.

इस घटना के एक दिन के बाद ही थाईलैंड ने अपनी राजदूत को हटा दिया है. अब थाईलैंड के विदेश सचिव ने उनका स्थान लिया है. 
 
यह घटना भारत के व्यापार नीतियों के प्रति अन्य देशों की नीतियों के प्रति भारत की सख्ती का प्रतीक है.
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