अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गाजा पट्टी की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक नई योजना पेश की है, जिसे ‘ट्रंप प्लान’ के नाम से जाना जा रहा है। इस योजना के तहत, ट्रंप ने मिस्र और जॉर्डन जैसे अरब देशों से अनुरोध किया है कि वे गाजा के फिलिस्तीनी शरणार्थियों को अपने यहां शरण दें। ट्रंप का मानना है कि गाजा पट्टी अब एक विनाश के मैदान में तब्दील हो चुकी है, जहां लगभग सब कुछ नष्ट हो चुका है और लोग मर रहे हैं। इसलिए, उन्होंने इन देशों से अधिक से अधिक फिलिस्तीनियों को स्वीकार करने की अपील की है।
ट्रंप ने जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय के साथ फोन पर इस मुद्दे पर चर्चा की और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के साथ भी बातचीत करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वीकार करें। आप शायद 15 लाख लोगों की बात कर रहे हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि पूरे इलाके को साफ किया जाए और हम कह सकें कि युद्ध खत्म हो गया है।”
हालांकि, ट्रंप की इस योजना को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि फिलिस्तीनियों का बड़े पैमाने पर विस्थापन उनकी राष्ट्रीय पहचान और दो-राष्ट्र समाधान की संभावनाओं को खतरे में डाल सकता है। इसके अलावा, मिस्र और जॉर्डन ने पहले भी इस तरह के प्रस्तावों को अस्वीकार किया है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके देशों में अस्थिरता बढ़ सकती है।
गाजा पट्टी में हमास और इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष के कारण वहां की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा के 90% से अधिक निवासी विस्थापित हो चुके हैं, और वहां की अधिकांश बुनियादी ढांचा नष्ट हो चुकी है। ट्रंप की योजना का उद्देश्य इन विस्थापित लोगों को अस्थायी या स्थायी रूप से अन्य देशों में बसाना है, ताकि गाजा में शांति स्थापित की जा सके।
हालांकि, हमास ने ट्रंप की इस योजना का कड़ा विरोध किया है। हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासेम नईम ने कहा, “फिलिस्तीनी किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे जो उनके विस्थापन को शामिल करता है, चाहे वह पुनर्निर्माण के बहाने ही क्यों न हो।”
ट्रंप की इस पहल ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बहस को जन्म दिया है। कुछ लोग इसे गाजा में शांति स्थापित करने के लिए एक व्यावहारिक समाधान मानते हैं, जबकि अन्य इसे फिलिस्तीनियों के अधिकारों का उल्लंघन और उनकी राष्ट्रीय पहचान को मिटाने का प्रयास मानते हैं। इसके अलावा, इस योजना के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियां, जैसे कि अरब देशों की स्वीकृति, संसाधनों की उपलब्धता, और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन, इसे और भी जटिल बनाते हैं।
गौरतलब है कि गाजा पट्टी में दशकों से संघर्ष जारी है, और वहां की जनता लगातार हिंसा और अस्थिरता का सामना कर रही है। ट्रंप की इस योजना का उद्देश्य इस संघर्ष को समाप्त करना और फिलिस्तीनियों के लिए एक सुरक्षित और स्थिर भविष्य सुनिश्चित करना है। हालांकि, इस योजना की सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय समर्थन, स्थानीय स्वीकृति, और व्यावहारिक कार्यान्वयन शामिल हैं।