अजमेर की टाडा कोर्ट ने 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है. 

इसके अलावा, दो आरोपियों इरफ़ान और हमीदुद्दीन को दोषी माना गया है.

अब्दुल करीम टुंडा को टाडा अदालत ने बरी किया. 

यह मामला 1993 में 5 शहरों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद चला था,

जिसमें टुंडा मुख्य आरोपी था. टुंडा को 2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था.

टुंडा ने कथित रूप से युवाओं को भारत में आतंकवादी गतिविधियां करने के लिए प्रशिक्षण दिया था. 

उन्होंने एक पाकिस्तानी नागरिक जुनैद के साथ उसने कथित रूप से 1998 में गणेश उत्सव के दौरान आतंकवादी हमला करने की योजना बनाई थी.

टुंडा ने तीन विवाह रचाए. उसने 65 की उम्र में एक 18 वर्षीय लड़की से तीसरा विवाह रचाया. 

उनका छोटा भाई अब्दुल मलिक आज भी कारपेंटर है.

टुंडा ने बांग्लादेश और बाद में पाकिस्तान में आतंकवादियों को बम बनाने का प्रशिक्षण दिया. 

पुलिस ने बताया कि टुंडा 1996 और 1998 में बम हमलों की साजिश रचने के लिए ढाका से भारत लौट आया.

इस मामले में टुंडा सहित करीब 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. 

इनमें से 3 (टुंडा, हमीदुद्दीन, इरफान अहमद) पर गुरुवार को फैसला सुनाया गया.

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