सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देशभर की जेलों में महिला कैदियों की स्थिति को लेकर बनने वालीं जिला स्तर की समितियों का दायरा बढ़ाने का आदेश दिया है. यह निर्णय पश्चिम बंगाल की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने के आरोपों के बाद आया है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिले की सबसे वरिष्ठ महिला न्यायिक अधिकारी को समिति में शामिल किया जा सकता है. यह समितियाँ जेलों में कैदियों, खासकर महिलाओं की स्थिति का आकलन करेगी.
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच करवाने का फैसला किया है. यह निर्णय तब आया जब पश्चिम बंगाल की जेलों में गर्भवती महिला कैदियों की तादाद लगातार बढ़ रही थी.
आंकड़ों के मुताबिक, 2023 तक जेल में बंद महिला कैदियों ने 196 बच्चों को जन्म दिया. इस समय भी अलीपुर सेंट्रल जेल में एक महिला कैदी गर्भवती है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली खंडपीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया है. इस मामले में अब नौ अप्रैल को सुनवाई होगी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिले की सबसे वरिष्ठ महिला न्यायिक अधिकारी को समिति में शामिल किया जा सकता है. यह समितियाँ जेलों में कैदियों, खासकर महिलाओं की स्थिति का आकलन करेगी.
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए जांच करवाने का फैसला किया है. यह निर्णय तब आया जब पश्चिम बंगाल की जेलों में गर्भवती महिला कैदियों की तादाद लगातार बढ़ रही थी.
आंकड़ों के मुताबिक, 2023 तक जेल में बंद महिला कैदियों ने 196 बच्चों को जन्म दिया. इस समय भी अलीपुर सेंट्रल जेल में एक महिला कैदी गर्भवती है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली खंडपीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया है. इस मामले में अब नौ अप्रैल को सुनवाई होगी.