बंगाली सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री अंजना भौमिक का 17 फरवरी, 2024 को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने अपने लंबे और उत्कृष्ट अभिनय करियर के दौरान बंगाली सिनेमा पर अद्वितीय छाप छोड़ी.

अंजना भौमिक का जन्म 30 दिसंबर, 1944 को कूचबिहार, बंगाल में हुआ था3. उनके पिता बिभूतिभूषण भौमिक भी एक थेस्पियन थे. उन्होंने अपनी शिक्षा कोचबिहार में पूरी की और बाद में डम डम में सरोजिनी नायडू कॉलेज के महिलाओं में अपनी शिक्षा जारी रखी3. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की.

अंजना भौमिक ने 1964 में पीजुष बोस की फिल्म ‘अनुस्तुप चंदा’ के माध्यम से चांदी परदे पर डेब्यू किया23. उन्होंने अपनी पहली फिल्म के लिए अंजना नाम अपनाया, जिसने उन्हें महत्वपूर्ण पहचान दिलाई. उनकी दूसरी फिल्म, हिरेन नाग की ‘थाना थेके अश्चि’, बंगाली सिनेमा के भारीवट उत्तम कुमार के साथ थी, और दोनों कलाकारों को उनके काम के लिए अत्यधिक प्रशंसा मिली3. उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को व्यापक रूप से सराहा गया था और वे कई आगामी फिल्मों में सहयोग करने पर भी सहमत हुए, जैसे कि ‘राज द्रोही’ (1966), ‘नायिका संगबाद’ (1967), ‘चौरिंगी’ (1968), ‘कोखोनो मेघ’ (1968) और ‘रौद्र छाया’ (1973) भी. अंजना की प्रदर्शन को सौमित्र चटर्जी के साथ फिल्म महेश्वेता (1967) में भी बहुत सराहा गया.

भौमिक ने नेवी अधिकारी अनिल शर्मा से शादी की और मुंबई में बस गई. उन्होंने 1975 में अपनी पहली संतान नीलांजना का स्वागत किया, उसके बाद 1982 में उनकी दूसरी संतान चंदना का.

बंगाली लेखक-निर्देशक सृजित मुखर्जी ने भौमिक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “अंजना भौमिक मेरी पसंदीदा अभिनेत्री थीं, जो स्वर्ण युग से थीं। उनकी सहजता और समयनिर्धारण अद्वितीय थी और उनकी उत्तम कुमार के साथ केमिस्ट्री सबसे अच्छी थी, और मैं इसे सुचित्रा सेन, सुप्रिया देवी और सबित्री चटर्जी को ध्यान में रखते हुए कह रहा हूं।

अंजना भौमिक का निधन बंगाली सिनेमा के एक युग का अंत है. उनकी मृत्यु के समय उनकी दो बेटियां, नीलांजना सेनगुप्ता और चंदना शर्मा, उनके साथ थीं. उनकी बीमारी के दौरान उन्होंने अपने परिवार का साथ पाया. उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटियां और उनके परिवार ने उनकी स्मृति को जीवित रखने का प्रयास किया.

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