प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में स्थित सेला टनल का उद्घाटन किया। यह टनल चीन की सीमा के बहुत करीब स्थित है और इसका निर्माण भारतीय सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

इस टनल के बनने के बाद, चीन की सीमा से लगे तवांग तक की दूरी 10 किलोमीटर कम हो जाएगी। ये टनल सुरक्षा के लहजे से बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है क्योकि इसके बनने के कारण आवागमन सरल हो जायेगा।

सेला टनल 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह टनल तवांग को हर मौसम में सुलभ आवागमन प्रदान करेगा। इसके बनने से, भारी वर्षा, बर्फबारी और भूस्खलन के कारण बालीपारा-चारीद्वार-तवांग मार्ग को बंद होने से बचाया जा सकेगा।

इस टनल के बनने से असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग में स्थित सेना के चार कोर मुख्यालयों के बीच की दूरी भी करीब एक घंटे कम हो जाएगी।

इस टनल का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) यानी बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन ने किया है। इसका निर्माण नई ऑस्ट्रियाई टनलिंग पद्धति का इस्तेमाल करके किया गया है।

यह टनल इंजीनियरिंग का अनूठा उदाहरण है। इसकी नींव प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी 2019 में 697 करोड़ की लागत से रखी थी।

सेला टनल की खासियत यह है कि इसके बनने से भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाया जा सकेगा। इसके बनने से भारतीय सेना अब हर मौसम में चीन की सीमा से लगे तवांग तक आसानी से अपने हथियार और बाकी अन्य सामान ला जा सकती है।

इसके बनने से भारतीय सेना की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) मतलब लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल -पर क्षमताओं को बढ़ाया जा सकेगा।

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