अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बने पहले हिंदू मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह शुरू हो चुका है. यह मंदिर भारतीय संस्कृति और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की पहचान का अनूठा मिश्रण है. इस मंदिर के निर्माण में भारत के विभिन्न हिस्सों का योगदान रहा है.
यह मंदिर अपनी भव्यता से दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रहा है1. 27 एकड़ में बना 108 फुट ऊंचा यह मंदिर वास्तुशिल्प का चमत्कार माना जा रहा है. मंदिर प्रबंधन के मुताबिक मंदिर के दोनों किनारों पर गंगा और यमुना नदी का पवित्र जल बहता है, जो विशाल कंटेनरों में भारत से लाया गया था.
इस मंदिर का निर्माण वर्ष 2019 में शुरू हुआ था, जिसके लिए संयुक्त अरब अमीरात ने दान में जमीन दी है. इस मंदिर में गंगा और यमुना का पवित्र जल, राजस्थान का गुलाबी बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस मंदिर का उद्घाटन करेंगे. यह उनकी खाड़ी देश की दो दिवसीय यात्रा का केंद्र बिंदु है. इस अवसर पर विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा, ‘अहलान मोदी कार्यक्रम कल शाम जायद स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में 40,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया और अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता, भारतीय समुदाय को उनके समर्थन और बीएपीएस मंदिर के निर्माण के लिए भूमि देने के लिए यूएई के राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया।.
इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) सोसायटी ने किया है. यह संस्था वही है, जिसने अक्षरधाम मंदिर बनाए हैं. इस मंदिर की कल्पना करीब ढाई दशक पहले 1997 में बीएपीएस संस्था के तत्कालीन प्रमुख स्वामी महाराज ने की थी1.
इस मंदिर के उद्घाटन की खबर ने विश्व भर में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक एकता की एक नई मिसाल कायम की है. यह मंदिर न केवल हिंदू समुदाय के लिए एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह विश्व भर के लोगों के लिए एकता, सहिष्णुता और प्रेम का प्रतीक है.